||.. श्री गायत्री शाप विमोचनम् ..||


.. श्री गायत्री शाप विमोचनम् ..
शाप मुक्ता हि गायत्री चतुर्वर्ग फल प्रदा |
अशाप मुक्ता गायत्री चतुर्वर्ग फलान्तका ||

ॐ अस्य श्री गाय्त्री | ब्रह्मशाप विमोचन मन्त्रस्य |
ब्रह्मा ऋषिः | गायत्री छन्दः |
भुक्ति मुक्तिप्रदा ब्रह्मशाप विमोचनी गायत्री शक्तिः देवता |
ब्रह्म शाप विमोचनार्थे जपे विनियोगः ||

ॐ गायत्री ब्रह्मेत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्मविदो विदुः | तां
पश्यन्ति धीराः सुमनसां वाचग्रतः | ॐ वेदान्त नाथाय
विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमही | तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् | ॐ
गायत्री त्वं ब्रह्म शापत् विमुक्ता भव ||

ॐ अस्य श्री  वसिष्ट शाप विमोचन मन्त्रस्य
निग्रह अनुग्रह कर्ता वसिष्ट ऋषि |
विश्वोद्भव गायत्री छन्दः |
वसिष्ट अनुग्रहिता गायत्री शक्तिः देवता |
वसिष्ट शाप विमोचनार्थे जपे विनियोगः ||

ॐ सोहं अर्कमयं ज्योतिरहं शिव आत्म ज्योतिरहं शुक्रः सर्व
ज्योतिरसः अस्म्यहं | 
(इति युक्त्व योनि मुद्रां प्रदर्श्य गायत्री त्रयं पदित्व )| 
ॐ देवी गायत्री त्वं वसिष्ट शापत् विमुक्तो भव ||

ॐ अस्य श्री  विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य
नूतन सृष्टि  कर्ता विश्वामित्र ऋषि |
वाग्देहा गायत्री छन्दः |
विश्वामित्र अनुग्रहिता गायत्री शक्तिः देवता |
विश्वामित्र शाप विमोचनार्थे जपे विनियोगः ||

ॐ गायत्री भजांयग्नि मुखीं  विश्वगर्भां यदुद्भवाः
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीं इष्टकरीं 
प्रपद्ये | यन्मुखान्निसृतो अखिलवेद गर्भः | शाप युक्ता
तु गायत्री सफला न कदाचन  | शापत् उत्तरीत 
सा तु मुक्ति भुक्ति फल प्रदा ||

प्रार्थना ||

ब्रह्मरूपिणी गायत्री दिव्ये सन्ध्ये सरस्वती | अजरे अमरे चैव
ब्रह्मयोने नमोऽस्तुते | ब्रह्म शापत् विमुक्ता भव | वसिष्ट
शापत् विमुक्ता भव | विश्वामित्र शापत् विमुक्ता भव ||

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