.. गौर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ..
.. अथ गौर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्..
.. दत्तात्रयेण गौर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रोपदेशवर्णनम्..
इति श्रुत्वा कथां पुण्यां गौरीवीर्यविचित्रिताम् .
अपृच्छद् भार्गवोभूयोदत्तात्रेयं महामुनिम् .. १..
भगवन्नद्भुततमं गौर्या वीर्यमुदाहृतम् .
शृण्वतो न हि मे तृप्तिः कथां ते मुखनिःसृताम् .. २..
गौर्या नामाऽष्टशतकं यच्छच्यै धिषणो जगौ .
तन्मे कथय यच्छ्रोतुं मनो मेऽत्यन्तमुत्सुकम् .. ३..
भार्गवेणेत्थमापृष्टो योगिराडत्रिनन्दनः .
अष्टोत्तरशतं नाम्नां प्राह गौर्या दयानिधिः .. ४..
जामदग्न्य शृणु स्तोत्रं गौरीनामभिरङ्कितम् .
मनोहरं वाञ्छितदं महाऽऽपद्विनिवारणम् .. ५..
स्तोत्रस्याऽस्य ऋषिः प्रोक्त अङ्गिराश्छन्द ईरित .
अनुष्टुब् देवता गौरी आपन्नाशाय यो जपेत् .. ६..
ह्रां ह्रीं इत्यादि विन्यस्य ध्यात्वा स्तोत्रमुदीरयेत्..
.. ध्यानम्..
सिंहसंस्थां मेचकाऽऽभां कौसुम्भांऽशुकशोभिताम् .. ७
खड्गं खेटं त्रिशूलञ्च मुद्गरं बिभ्रतीं करैः .
चन्द्रचूडां त्रिनयनां ध्यायेत् गौरीं अभीष्टदाम् .. ८..
.. स्तोत्रम्..
गौरी गोजननी विद्या शिवा देवी महेश्वरी .
नारायणाऽनुजा नम्रभूषणा नुतवैभवा .. ९..
त्रिनेत्रा त्रिशिखा शम्भुसंश्रया शशिभूषणा .
शूलहस्ता श्रुतधरा शुभदा शुभरूपिणी .. १०..
उमा भगवती रात्रिः सोमसूर्याऽग्निलोचना .
सोमसूर्यात्मताटङ्का सोमसूर्यकुचद्वयी .. ११..
अम्बा अम्बिका अम्बुजधरा अम्बुरूपा आप्यायिनी स्थिरा .
शिवप्रिया शिवाऽङ्कस्था शोभना शुम्भनाशिनी .. १२..
खड्गहस्ता खगा खेटधरा खाऽच्छनिभाऽऽकृतिः .
कौसुम्भञ्चला कौसुम्भप्रिया कुन्दनिभद्विजा .. १३..
काली कपालिनी क्रूरा करवालकरा क्रिया .
काम्या कुमारी कुटिला कुमाराऽम्बा कुलेश्वरी .. १४..
मृडानी मृगशावाक्षी मृदुदेहा मृगप्रिया .
मृकण्डुपूजिता माध्वीप्रिया मातृगणोडिता .. १५..
मातृका माधवी माद्यन्मानसा मदिरेक्षणा .
मोदरूपा मोदकरी मुनिध्येया मनोन्मनी .. १६..
पर्वतस्था पर्वपूज्या परमाऽर्थदा .
परात्परा परामर्शमयी परिणताऽखिला .. १७..
पाशिसेव्या पशुपतिप्रिया पशुवृषस्तुता .
पश्यन्ती परचिद्रूपा परीवादहरा परा .. १८..
सर्वज्ञा सर्वरूपा सा सम्पत्तिः सम्पदुन्नता .
आपन्निवारिणी भक्तसुलभा करुणामयी .. १९..
कलावती कलामूला कलाकलितविग्रहा .
गणसेव्या गणोशाना गतिर्गमनवर्जिता .. २०..
ईश्वरीशानदयिता शक्तिः शमितपातका .
पीठगा पीठिकारूपा पृषत्पूज्या प्रभामयी .. २१..
महमाया मतङ्गेष्टा लोकाऽलोका शिवाङ्गना..
.. फलश्रुतिः..
एतत्तेऽभिहितं राम ! स्तोत्रमत्यन्तदुर्लभम् .. २२..
गौर्याष्टोत्तरशतनामभिः सुमनोहरम् .
आपदम्भोधितरणे सुदृढप्लवरूपकम् .. २३..
एतत् प्रपठतां नित्यमापदो यान्ति दूरतः .
गौरीप्रसादजननमात्मज्ञानप्रदं नृणाम् .. २४..
भक्त्या प्रपठतां पुंसां सिध्यत्यखिलमीहितम् .
अन्ते कैवल्यमाप्नोति सत्यं ते भार्गवेरितम् .. २५..
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